ग्वालियर। शहर में साल में सिर्फ एक बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन खोले जाने वाले भगवान कार्तिकेय मंदिर के पट गुरुवार – शुक्रवार की दरमियानी रात 12 बजे खोले गए। मंदिर 400 साल पुराना है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय के दर्शन मात्र से सारी मन्नत पूरी होती है। कार्तिकेय मंदिर शहर के जीवाजीगंज में स्थित है। यहां हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष आयोजन हो रहा है। रात 12 बजे मंदिर के पट खुलते ही सबसे पहले यहां साफ-सफाई की गई। इसके बाद कार्तिकेय भगवान की पूजना अर्चना की गई। शुक्रवार सुबह 4 बजे से शनिवार रात 12 बजे तक भक्तों ने दर्शन किये।
मान्यता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय से कहा था कि जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले हमारे पास आएगा, उसकी पूजा सबसे पहले मानी जाएगी। इस पर भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित होते हैं। गणेश की इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें ये आशीर्वाद दिया था कि उनकी पूजा सभी देवी – देवताओं से पहले होगी। जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश जी की जय – जयकार हो रही है। सभी ने उन्हें भगवान मान लिया है। इस पर वे नाराज हुए और खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी, विधवा हो जाएगी, पुरुष 7 जन्म नरक में जाएंगे। इस पर भगवान शिव ने उन्हें समझाया तो क्रोध शांत हुआ। अंत में शिव ने वरदान दिया कि कार्तिक के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किए जा सकेंगे। इसलिए साल में यह मंदिर एक दिन के लिए खुलता है। कार्तिकेय मंदिर के सेवक अमित शर्मा ने बताया रात 12 बजे मंदिर के पट खोलकर भगवान कार्तिकेय की पूजा – अर्चना कर अभिषेक किया गया। शुक्रवार दोपहर 11 बजे संगीत, सुंदरकांड और अन्नकूट का भोग प्रसाद वितरण कर 2 कुंतल लड्डुओं का भोग लगाया गया।