पुरी शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग द्वारा स्थापित संगठन आदित्यवाहिनी ग्वालियर शाखा द्वारा फूलबाग ग्वालियर स्थित गोपाल मंदिर के इतिहास एवं मंदिर निर्माण की शैली को जाना। गोपाल मंदिर के महंत जी द्वारा बताया गया कि मंदिर का निर्माण 1921 में कैलाशवासी श्री माधवराव सिंधिया प्रथम ने करवाया था। एवं 100 करोड़ से अधिक मूल्य के श्रृंगार दान किया था,आज भी जन्माष्टमी पर गोपाल जी का श्रृंगार इन्हीं गहनों से होता है। यहां पर कोरोना काल से रसोई चल रही है जिसमें मंदिर की तरफ से प्रतिदिन श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है।
इस कार्यक्रम में उपस्थित निहंग सिख ने खालसा पंथ का परिचय दिया और बताया कि सिख के छठवें गुरु हरगोबिन्द सिंह ने गौ और संत की रक्षा के लिए निहंग सेना का गठन किया। आदित्यवहिनी प्रमुख एड० आलेख शर्मा जी ने मंदिर संरचना पर प्रकाश देते हुए समझाया कि मंदिर केवल संरचना नहीं बल्कि वस्तु पुरुष है।वास्तु शास्त्र वेदों पर आधारित भवन निर्माण का विज्ञान है। कल्प सूत्र में इसका विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। यह भवनों और संरचनाओं के निर्माण के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। वास्तु पुरुष की अवधारणा के अनुसार, मंदिर की संरचना एक मानव शरीर के समान होती है, जिसमें विभिन्न अंगों को विशिष्ट स्थानों पर रखा जाता है।
1. मुख्य द्वार: मंदिर का मुख्य द्वार वास्तु पुरुष का मुख होता है, जो पूर्व दिशा में स्थित होता है।
2. गर्भगृह: गर्भगृह वास्तु पुरुष का हृदय होता है, जो मंदिर के केंद्र में स्थित होता है।
3. शिखर: शिखर वास्तु पुरुष के सिर के समान होता है, जो मंदिर के ऊपरी भाग में स्थित होता है।
4. प्रवेश द्वार: प्रवेश द्वार वास्तु पुरुष के पैरों के समान होते हैं, जो मंदिर के चारों ओर स्थित होते हैं।
5. मंडप: मंडप वास्तु पुरुष के हाथों के समान होता है, जो मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर स्थित होता है।
इस प्रकार, मंदिर की संरचना वास्तु पुरुष कहलाती है,जो एक आदर्श मानव शरीर का प्रतिनिधित्व करता है।कार्यक्रम में आदित्य वाहिनी धर्म सत्र प्रमुख डॉ० वैभव शुक्ला, एड० राखी कुशवाह, जलज शर्मा ,अंकित पाल,पवन बघेल, कुणाल वर्मा , तनुज तिवारी एवं अन्य युवाओं ने भाग लिया ।