निरीक्षण के दौरान मुख्य अभियंता जल संसाधन श्री एस के वर्मा, अधीक्षण यंत्री श्री राजेश चतुर्वेदी व कार्यपालन यंत्री श्री पंकज सिंह सेंगर सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे।
ज्ञात हो जल संसाधन मंत्री एवं ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट द्वारा तिघरा जलाशय के लीकेज सुधार के लिये लगभग 18 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए थे। दो चरणों में यह काम पूरा किया गया है। प्रथम चरण में तिघरा के अंदर की तरफ से पानी के नीचे डाइवर एवं अंडरवाटर रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल द्वारा लीकेज प्वॉइंट ढूँढकर ट्रीटमेंट किया गया है। दूसरे चरण में डैम के टॉप से छेद कर व ग्राउंटिंग कर लीकेज रोके गए हैं। साथ ही बांध के बॉडी वॉल की स्ट्रेंथेनिंग की गई है। इन कार्यों से वर्तमान में डैम के लीकेज पूर्णत: बंद हैं, जिससे शहर के लिए एक से डेढ़ माह का पेयजल संरक्षित हुआ है।
इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज श्री माधवराव सिंधिया प्रथम द्वारा सन् 1917 में प्रख्यात सिविल इंजीनियर भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेस्वरैया के तकनीकी मार्गदर्शन में बनाया गया तिघरा डैम उत्कृष्ट इंजीनियरिंग की अनमोल धरोहर है। इसके रख-रखाव में कोई ढ़िलाई न हो। इस जलाशय का कैचमेंट एरिया 414.24 वर्ग किलोमीटर, डूब क्षेत्र 9132 हैक्टेयर, कुल भराव क्षमता 130.80 मिली घन मीटर व जीवित भराव क्षमता 124.23 मिली घन मीटर है।
निरीक्षण के दौरान श्री सिलावट ने तिघरा के ऊपरी क्षेत्र में बने अपर ककैटो, ककैटो एवं पहसारी बाँध की जानकारी भी ली। अधिकारियों ने जानकारी दी कि ये तीनों डैम पानी से लबालब हैं। इन तीनों डैम से ककैटो-पहसारी नहर एवं पहसारी – सांक नहर से तिघरा में पानी लाया जाता है। सभी डैम भरे होने से आगामी अगस्त 2025 तक शहर की पेयजल आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आयेगी। डैम भरे होने से ग्रामीण अंचल के भू-जल स्तर में भी सुधार आया है।
ग्वालियर जिले में स्थित रायपुर बांध, मामा का बांध, जखौदा बांध व वीरपुर बांध भी इस साल लगभग 30 से 40 वर्ष बाद पूर्ण क्षमता के साथ भरे हैं। जल संसाधन मंत्री श्री सिलावट के निर्देशन में बनाई जा रही सांक नून कैनाल एवं फीडर चैनल के माध्यम से इन बांधों को भरना संभव हो पाया है। पहसारी एवं ककैटो डैम का अतिरिक्त पानी इन फीडर चैनल व कैनाल के माध्यम से इन बाँधों तक लाया गया है। इस अवसर पर यह भी जानकारी दी गई कि हरसी जलाशय भी पूरी क्षमता के साथ भरा है। हरसी से लगभग एक लाख हैक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होती है। डैम भरा होने से किसानों में खुशी की लहर है।