ग्वालियर।
नगर निगम की आदर्श गौशाला में चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन स्वामी प्रेमानंद महाराज ने भगवान श्री राम के वियोग में महाराज दशरथ के प्राण त्यागने एवं भारत चरित्र का वर्णन किया गया। इसके साथ ही राम सभी के हैं और सभी राम के हैं यहां संदेश देने के लिए कथा के सातवें दिन शबरी महोत्सव का आयोजन किया गया।
स्वामी प्रेमानंद महाराज ने बताया कि भगवान श्री राम के वनगमन करने के बाद महाराजा दशरथ ने उनके वियोग में अपने प्राणों को त्याग दिया । वहीं महात्मा भरत को जब इस बात का पता चला कि उन्हें राज दिलाने के लिए उनकी माता ने प्रभु श्री राम को 14 वर्ष का वनवास दिलाया है तो उन्होंने राज सिंहासन को ठुकरा दिया। और प्रभु श्री राम को वापस अयोध्या लाने के लिए सभी अयोध्यावासियों,, महाराजा जनक अपने गुरुजनों को साथ लेकर पहुंचे क्योंकि महात्मा भारत जानते थे की पिता की आज्ञा का प्रभु अनुगमन करेंगे लेकिन शायद वह अपने बड़े बुजुर्गों गुरुजनों , माता की बात में से किसी की बात मान ले तो शायद वापस अयोध्या आ जाएं। लेकिन जब प्रभु श्री राम ने अयोध्या आने से मना कर दिया तब महात्मा भारत ने वहीं वन में रहकर उनका इंतजार किया । यहां राम कथा पिता की आज्ञापालन में राज्य त्याग देने एवं दो भाइयों के आपसी प्रेम को दर्शाती है। जिसमें एक बड़ा भाई छोटे भाई के लिए राज्य को त्यागता है, वही छोटा भाई बड़े भाई के प्रेम में उसे राज्य को लेने से इनकार करते हुए स्वयं बनवासी बनाकर अपने 14 वर्ष जंगल में बिताते हैं । इसके साथ ही माता शबरी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया माता शबरी वनवासी थी और प्रभु श्री राम के आने का वर्षों से इंतजार कर रही थी प्रभु श्री राम ने माता शबरी के हाथों से दिए झूठे बेर खाए। शबरी महोत्सव के माध्यम से जन-जन को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि प्रभु श्री राम जन जन के हैं , सभी के हैं उनके लिए ना कोई छोटा है ना कोई बड़ा है ना कोई ऊंचा है ना कोई नीचा है सभी बराबर हैं
राम की बिरहा में प्राण त्यागने वाले का मरण मंगलमय होता है,,, स्वामी प्रेमानंद महाराज
शबरी महोत्सव से दिया समरसता का संदेश