Sunday, December 22, 2024

तानसेन संगीत समारोह-2024 जाड़ों के लम्हों ने ओढ़े सुरों के लिबास

रसिक श्रोताओं ने किया घरानेदार गायिकी और रबाब के माधुर्य का रसपान,तानसेन संगीत समारोह के 100वें महोत्सव के चौथे दिन सुरों के साधकों की प्रस्तुतियों ने किया मंत्रमुग्ध 

ग्वालियर :  पखावज व तबले की मदमाती थाप से झर रहे प्रेम में पगे सुर और इन सबके बीच जब गायन की रसभीनी तानें निकलीं तो ऐसा लगा मानो सुरों की गर्माहट को जाड़ों के नरम नाजुक लम्हों ने लिबास बनाकर ओढ़ लिया है। मौका था भारतीय शास्त्रीय संगीत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन संगीत समारोह” के 100वें उत्सव के चौथे दिन बुधवार को प्रात:कालीन सभा का । इस सभा में ग्वालियर के उदयीमान एवं युवा शास्त्रीय गायक रोहित पंडित की उच्चकोटि की घरानेदार गायकी और सुविख्यात रबाब वादक उस्ताद दानिश असलम खाँ दिल्ली के वादन ने संगीत सभा में अनुपम रंग भरे।

 

ऐतिहासिक महेश्वर किला की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर बैठकर देश और दुनिया के सुप्रसिद्ध ब्रम्हनाद के साधक संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि व आदरांजलि अर्पित कर रहे हैं।

 

प्रातःकालीन सभा में प्रभु आराधन की ओज पूर्ण गायिकी ध्रुपद से संगीत सभा का शुभारंभ हुआ। इसे प्रस्तुत किया शंकर गंधर्व महाविद्यालय, ग्वालियर के गुरुओं एवं शिष्यों ने। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के दौरान गणपति गणनायक सिद्धी…. बंदिश प्रस्तुत की। इस दौरान पखावज पर मुन्ना लाल भट्ट एवं हारमोनियम पर टिकेंद्र चतुर्वेदी ने संगत दी।

 

अगली प्रस्तुति ग्वालियर घराने के श्री रोहन पंडित के गायन की रही। रोहन पंडित, ग्वालियर के सुप्रसिद्ध पंडित परिवार की ही नई पीढ़ी के गायक कलाकार हैं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग अल्हैया बिलावल का चयन किया। इस राग में उन्होंने पारम्परिक रचना दैय्या कहां गए ब्रज के बसैया…. को सुमधुर एवं खुले कंठ से प्रस्तुत किया। उनकी अंतिम प्रस्तुति द्रुत की रचना कवन बटरिया कहां गई लो….रही। आपके साथ तबले पर श्री मनीष करवड़े ने संगत दी।

 

प्रातःकालीन सभा की अंतिम प्रस्तुति रबाब वादन की रही। माधुर्य से भरपूर जम्मू और कश्मीर के इस सुरीले वाद्ययंत्र की खुमारी कुछ इस तरह चढ़ी कि सुनने वाले आत्ममुग्ध हो गए। पहाड़ों के लोक से निकला यह वाद्य सुकून और अनन्त आनंद की अनुभूतियों से भरपूर है। इस वाद्य के माधुर्य का रसपान कराया दिल्ली के श्री दानिश असलम खां ने। उन्होंने अपनी प्रस्तुति के लिए राग शुद्ध सारंग चुना। इस राग को रबाब पर सुनना निश्चित रसिक श्रोताओं के लिए नया और अनूठा अनुभव रहा। आपके साथ तबले पर भोपाल के अंशुल प्रताप सिंह ने सधी हुई संगत दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

error: Content is protected !!