धर्मेन्द्र त्रिवेदी
भोपाल। हाल ही में हुआ अमित शाह का मध्यप्रदेश दौरा कई मायनों में अहम है। उन्होंने जातिवाद, परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार को लोकतंत्र का नासूर बताया है। इसके साथ ही यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते दस वर्ष में चारों नासूर नष्ट कर पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस की स्थापना की है। विपक्ष के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी को लांच न होने वाला रॉकेट बताया है। इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन की तुलना कौरवों से करके भाजपा को देशभक्तों की टोली और दूसरी ओर परिवारवादियों का गठबंधन बताया। ग्वालियर, खजुराहो और भोपाल में नेता, कार्यकर्ता और प्रबुद्धजन के बीच मौजूद अमित शाह ने भाषण तो विपक्ष को निशाने पर लेकर दिया लेकिन उनका यह भाषण भाजपा नेताओं की चिंता बढ़ाने वाला भी है। अगर शाह की कार्यशैली को समझें तो अपने भाषण में उन्होंने जिस पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस की बात की वह भाजपा नेताओं पर भी लागू होगा। भाजपा के पुराने नेता यह मानकर चल रहे हैं कि विपक्ष को निशाने पर लेकर बिना कहे ही अपनों को भी लोकसभा चुनाव में काम करने का तरीका समझा गए हैं। मोदी के 370 वोट बढ़ाने का मंत्र लागू करके चेहरा दिखाऊ नेताओं की मुसीबत बढ़ा दी है। मालवा, बुंदेलखंड, बघेलखंड, निमाड़ और ग्वालियर-चंबल में विभाजित 29 सीटों के हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का टारगेट भी नेताओं के पेट में दर्द पैदा कर रहा है। खासकर बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल में बढ़ी अकर्मण्यता से पैदा हुए चेहरा दिखाऊ नेता लोकसभा-2024 के चुनाव में कसौटी पर कसे जाएंगे।
दरअसल, चुनाव पूर्व तैयारियों का लेखाजोखा लेने के लिए भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले और देश के गृहमंत्री अमित शाह रविवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर थे। शाह का यह चौथा दौरा है और कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के बाद पनप रही उदासीनता को उत्साह में बदलने वाला साबित होगा। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भोपाल में उन्होंने प्रबुद्धजन को संबोधित किया, खजुराहो में बूथ कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा और ग्वालियर-चंबल में 400 नेताओं को बुलाकर सीख दी। इससे समझ आता है कि शीर्ष संगठन को अभी भी ग्वालियर-चंबल अंचल के नेताओं की अंदरूनी खींचतान को लेकर चिंता बनी हुई है।
समझें अमित शाह के भाषण के मायने……….
पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस
-भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में प्रबुद्धजन के बीच शाह ने मोदी सरकार के दस वर्ष की उपलब्धियां गिनाईं। जातिवाद, परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार को देश के लोकतंत्र का नासूर बताते हुए कहा कि मोदी जी ने दस वर्ष में ये नासूर खत्म कर पॉलिटिक्स ऑफ परफॉर्मेंस की स्थापना की। शाह के आत्मविश्वास से लबरेज बोल प्रदेश के नेताओं के कानों में भी पहुंचे हैं। अभी सभी पर दामन को साफ बनाए रखने का दबाव बनेगा। जो चार नासूर बताए गए हैं उनसे दूर रहने की कोशिश पार्टी संगठन और भाजपा सरकारों को भी करनी होगी।
भाजपा के सामने परिवारवाद
-शाह ने वर्तमान राजनीति की तुलना महाभारत से की है। उन्होंने कहा महाभारत युद्ध में दो खेमे थे। एक ओर पांडव और दूसरी ओर कौरव सामने थे। वर्तमान में एक ओर भाजपा और दूसरी ओर सात परिवारवादी संगठनों का गठबंधन है। शाह द्वारा मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा को देशभक्तों की टोली बताया है, जबकि अन्य को बेटे-बेटियों की चिंता करने वाला घमंडिया गठबंधन कहा है। अब भाजपा की राष्ट्रीय और प्रादेशिक लीडरशिप के सामने भी यही चुनौती रहेगी कि आम जन के सामने कोई परिवारवाद या बेटे-बेटियों की चिंता करने वाला दल न कह पाए और अगर कहे तो साबित न कर पाए।
तीसरा जनादेश और आंतरिक गतिरोध
-शाह ने लोकसभा-2024 में देश की 400 सीटों को झोली में डालने का आव्हान कार्यकर्ताओं से किया है। इस मांग के साथ ही यह भी वचन दिया है कि देश को भारत को संसार की तीसरी अर्थ व्यवस्था बनाएंगे। मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,राजस्थान,हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र के अलावा गुजरात जैसे राज्यों में बीते विधानसभा चुनावों से ही आंतरिक उथल पुथल मची है। संगठन में संतोष-असंतोष के बीच नेताओं की चुप्पी भी गाहे-ब-गाहे टूट जाती है लेकिन फिर से चुप्पी छा जाती है। इस अनकही चुप्पी से निपटना पार्टी के शीर्ष संगठन के लिए बड़ी चुनौती होगा। हालांकि, भाजपा का पुराना कार्यकर्ता अंतिम समय में अपने निशान की ओर झुक जाता है, लेकिन वर्तमान भाजपा में जो मिश्रण है, उसको लेकर सामंजस्य बनाए रखना भी बड़ा सवाल बना रहेगा।
बहुत ही शान दार खबर
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