श्योपुर। प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्योपुर राकेश कुमार गुप्त की अध्यक्षता में किशोर न्याय अधिनियम, स्कूल बैग पॉलिसी, शिक्षा का अधिकार, नालसा की योजनाओं एवं बच्चों के सर्वोत्तम हित से जुड़े सिद्धांतों के संबंध में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया। सेंट पॉयस स्कूल में हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष ने दीप प्रज्जवलन के साथ की। इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव पवन कुमार बांदिल, जिला विधिक सहायता अधिकारी शिखा शर्मा, प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एन.वी. शर्मा, सेंट पॉयस स्कूल के प्राचार्य जॉन डिसूजा व शिक्षक मौजूद थे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रांरभ में प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष राकेश कुमार गुप्त ने कहा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देश पर नालसा की स्कीम बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवाऐं एवं उनके संरक्षण के लिए विधिक सहायता योजना, 2015 के अंतर्गत ऐसी संस्थाओं को प्रशिक्षित करती है जो बालकों के हितों से सीधे जुड़ी हुई हैं। प्रशिक्षण का माध्यम कार्यशाला, संगोष्ठियां, जागरूकता अभियान आदि को बनाया जाता है। इसी तारतम्य में स्कूल बेग पॉलिसी एवं बच्चों के सर्वोत्तम विकास से जुड़ी हुई नीतियों एवं कानूनों के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसमें छात्रों के प्रति शिक्षकों के कत्र्तव्य, शिक्षकों का संवेदीकरण एवं किशोर न्याय जैसे संवेदनशील मुद्दों पर न केवल प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि शिक्षकों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया जाएगा। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी एन.वी. शर्मा ने स्कूल बैग पॉलिसी के प्रमुख उपबंध के बारे में बताते हुए कहा कि स्कूल बैग पॉलिसी के अनुसार बच्चों के बैग का वजन उनके वजन का 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए ज्यादा वजन होने से गर्दन दर्द, पीठ दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
जिला विधिक सहायता अधिकारी शिखा शर्मा द्वारा बच्चों के सर्वोत्तम विकास के प्रमुख सिद्धांत के बारे में बताते हुए कहा कि जब भी कोई कार्य करें उसमें बच्चों का सर्वोत्तम हित होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत बच्चों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। बच्चों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनको सुनना चाहिए और उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए ताकि बच्चा अपनी कोई भी बात बिना किसी समस्या के बता सके। उन्होंने शिक्षकों को नालसा की स्कीम, बच्चों को मैत्रीपूर्ण विधिक सेवा योजना एवं उनके संरक्षण के लिए विधिक सेवाओं के बारे में भी जानकारी दी।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव पवन कुमार बांदिल द्वारा बताया कि एक शिक्षक अपनी जिदंगी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छे शिक्षक अपने छात्र-छात्राओं के दिल में महत्वपूर्ण और पवित्र स्थान रखता है। माता-पिता के बाद शिक्षक ही बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है तथा उसके व्यक्तित्व को सही रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शारीरिक दण्ड बच्चे के अनुशासन में लाने का बहुत ही प्रभावहीन तरीका है यह बच्चे के विकास में अच्छे असर डालने के बजाय बुरे असर डालता है। यह अत्यंत खतरनाक है। किसी भी परिस्थिति में बच्चों को अनुशासन में लाने का कोई मार्ग नहीं मिले तो उन्हें शारीरिक दण्ड के माध्यम से काबू में लाने का हक किसी को नैतिक या कानूनी तौर पर नहीं है। शारीरिक दण्ड की बजाय बच्चों में अनुशासन लाने के लिए बातचीत और सलाह जैसी सकरात्मक सहायक तकनीक का इस्तेमाल करें। प्रशिक्षण के दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से नालसा थीम की वीडियो दिखाई गई और फिर सामूहिक राष्ट्रीय गान हुआ।