कार का इंश्योरेंस कराते वक्त आपको सबसे पहले अपनी जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है. भारत में मुख्यतौर पर दो तरह के कार इंश्योरेंस किए जाते हैं, जिनमें थर्ड पार्टी और कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस शामिल हैं.
थर्ड पार्टी कवर है जरूरी
सड़क पर गाड़ी दौड़ाने से पहले थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी होना जरूरी है. इस इंश्योरेंस से आपको ये फायदा होता है कि गाड़ी चलाते वक्त अगर सामने वाले व्यक्ति की कार या फिर अन्य किसी वाहन को नुकसान पहुंचता है तो ये पॉलिसी आपको इस नुकसान से बचाने में मदद करती है.
यही नहीं, बिना वैलिड इंश्योरेंस पॉलिसी के ड्राइविंग करने पर मोटा चालान कटने का भी खतरा बना रहता है, बता दें कि नई कार खरीदने पर 3 साल का थर्ड पार्टी कवर और टू व्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर कराना अनिवार्य है.
कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस
इसमें थर्ड पार्टी के साथ आपकी खुद की गाड़ी भी कवर हो जाती है. जिससे किसी तरह के डैमेज, गाड़ी के चोरी होने या प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान की भरपाई कंपनी करती है.
सही कंपनी चुने
ये काफी जरूरी होता है और इसका एहसास तब होता है, जब आपके साथ कोई दुर्घटना हो जाती है. इसलिए कुछ अच्छी कंपनियों का चुनाव कर उनका सेटिलमेंट रेशियो, कस्टमर रिव्यूज, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी और कस्टमर सपोर्ट सर्विस की जानकारी लें और इसमें से अपनी सहूलियत के हिसाब से एक कंपनी चुन लें.
पॉलिसी को आपस में कम्पेयर करें
इसके बाद अगला काम पॉलिसी और उनमें दी जा रही सुविधाओं का आपस में कम्पेरिजन करें. इसमें आइडीवी, प्रीमियम, नो क्लेम बोनस, रोड एक्सीडेंट कवर, रोड साइड अस्सिस्टेंस और कार एक्सेससरीज में क्या-क्या कवर हो रहा है, ये देखना जरुरी होता है. खासकर आइडीवी ताकि अगर आइडीवी वैल्यू सही होगी. तो किसी भी तरह का लॉस होने पर आपको कम नुकसान उठाना पड़ेगा.
क्लेम सेटलमेंट रेशियो पता करें
जब आप पाॅलिसी फाइनल कर लें, तब एक बार उस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो भी पता कर लें. जोकि उस कंपनी की ओर से समय से और सही मैनर के साथ सॉल्व किये हों, ताकि आप भी भविष्य के लिहाज से टेंशन फ्री हो सकें.