चंदन दास ने अपने गायन का आगाज़ “इस तरह मोहब्ब्त की शरुआत कीजिए, इक बार अकेले में मुलाकात कीजिए…” ग़ज़ल सुनाकर किया। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जब बशीर बद्र का प्रसिद्ध कलाम “कभी तो आसमा से चाँद उतरे जाम हो जाए, तुम्हारे नाम की एक खूबसूरत शाम हो जाए” पेश किया तो रसिकों में प्रीत-मनुहार हिलोरें लेने लगीं। इसी क्रम में चंदन दास द्वारा प्रस्तुत ग़ज़ल ” इधर जिंदगी का जनाजा उठेगा, उधर जिंदगी उनकी दुल्हन बनेगी” सुनकर श्रोता विरह रस में डूब गए।
इसके बाद चंदन दास ने “पिया नहीं जब गाँव में, आग लगे सब गाँव में” गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद उन्होंने श्रोताओं की फरमाइश पर अपनी चर्चित गज़ल “न जी भर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की” पेश कर वातावरण में उत्कृष्ट गज़ल गायकी की खुशबू बिखेर दी। इसी सिलसिले में उन्होंने प्रसिद्ध गज़ल “खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में” गाकर सुनाई तो सम्पूर्ण पण्डाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज गया।
सर्द मौसम में चंदन दास ने गज़ल की ऐसी महफिल सजाई कि लोग झूमने को मजबूर हो गए। गज़ल की यह महफिल काफी लम्बी चली और चंदन दास ने अपनी रूहानी आवाज का ऐसा जादू बिखेरा कि लोग उसे शायद ही भुला पायेंगे। उनके गज़ल गायन में तबले पर श्री अरशद खाँ, वायोलिन पर श्री अलीम खाँ, कीबोर्ड पर श्री सुधीर सिन्हा व गिटार पर श्री रतन प्रसन्ना ने नफासत भरी संगत की। कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी श्री अशोक आनंद ने किया।
आरंभ में संभाग आयुक्त श्री मनोज खत्री ने दीप प्रज्ज्वलन कर पूर्वरंग “गमक” की सभा का शुभारंभ किया। साथ ही चंदन दास सहित सभी संगत कलाकारों को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संस्कृति संचालक श्री एन पी नामदेव, अपर आयुक्त नगर निगम श्री मुनीष सिकरवार, एसडीएम श्री अतुल सिंह, संयुक्त कलेक्टर श्री संजीव जैन एवं डॉ. केशव पाण्डेय सहित अन्य गणमान्य नागरिक एवं बड़ी संख्या में संगीत रसिक मौजूद थे।