कलेक्टर श्रीमती चौहान ने यह भी निर्देश दिए हैं कि संबंधित राजस्व निरीक्षण से इस आशय का प्रमाणीकरण भी लिया जाए कि उनके क्षेत्र में अन्य कोई अवैध कॉलोनी का निर्माण कार्य संचालित नहीं है।
ज्ञात हो जिले में वर्ष 2019 में समस्त अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) द्वारा अवैध कॉलोनियों की व्यापक स्तर पर जांच की गई थी। साथ ही इसकी सूची भी नगर निगम को दी गई थी। कलेक्टर श्रीमती चौहान ने नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई उसी सूची को सभी अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को पत्र के साथ भेजा है। साथ ही संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश की ओर से प्राप्त वैध कॉलोनियों की सूची भी उपलब्ध कराई है। कलेक्टर श्रीमती चौहान ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि यह संज्ञान में आया है कि पूर्व में हुई जाँच के बाद भी कतिपय व्यक्तियों व समूहों द्वारा अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। साथ ही पूर्व में चिन्हित अवैध कॉलोनियों एवं नई अवैध कॉलोनियों में निरंतर प्लॉट व भवन बेचे जा रहे हैं। ऐसी अवैध कॉलोनियों में भूमि और भवन खरीदने वाले लोगों को स्वत्व, स्वामित्व एवं भवन निर्माण की अनुज्ञा प्राप्त करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। साथ ही ऐसी कॉलोनियों में मूलभूत सुविधायें भी नहीं मिल पाती हैं। इसके फलस्वरूप न्यायालय में याचिकायें लगती हैं और शासन को भी पक्षकार बनाया जाता है।
अवैध कॉलोनी के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिये कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने एक प्रपत्र तैयार कराया है, जिसमें लगभग 8 बिंदु निर्धारित किए गए हैं। इन बिंदुओं में अवैध कॉलोनी का नाम एवं पता, ग्राम का नाम, खसरा क्रमांक व रकबा, राजस्व अभिलेख में भूमि की स्थिति (मिसिल एवं वर्तमान दोनों), कॉलोनी में शासकीय भूमि या उसके अंश भाग पर अतिक्रमण तो नहीं किया गया है, कॉलोनी में प्लॉटिंग किस व्यक्ति व समूह द्वारा की गई है, उसका नाम पता व मोबाइल फोन नम्बर, किसी व्यक्ति या समूह द्वारा अपनी पहचान छुपाकर कॉलोनी में प्लॉटों का विक्रय भूमि स्वामियों के माध्यम से तो नहीं किया जा रहा है, कॉलोनी निर्माण के लिये सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त अनुमतियां हैं या नहीं इत्यादि शामिल हैं।