Sunday, December 22, 2024

सफलता की कहानी: छोटे किसानों के लिए वरदान बने कस्टम हायर सेंटर

वनांचल के किसानों को सरसब्ज बना रही शासन की यह योजना

श्योपुर : लद्यु एवं सीमांत किसानों के लिए कस्टम हायर सेंटर वरदान बन गये है, वनांचल के ग्रामों में शासन की योजना के तहत स्थापित यह सेंटर छोटे किसानों को सरसब्ज बना रहे है। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत आदिवासी विकासखण्ड कराहल के ग्राम पटोंदा, डूडीखेडा, आवदा, कराहल, गोरस, गढला, मयापुर, बंधाली, सलमान्या और बर्धाखुर्द में डेढ करोड की लागत से यह कस्टम हायर सेंटर स्थापित किये गये है। इनका संचालन स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।

छोटे किसानों के पास कृषि यंत्र नही होने के कारण उन्हें खेती में काफी समस्याओं का सामना करना पडता था, खेती के लिए उनकी निर्भरता उन लोगों पर थी, जिनके पास कृषि यंत्र थे, इनका उपयोग करने के लिए इन किसानों को जरूरत के समय मनमाना किराया देना पडता था या फिर अपनी जमीन अधबटाई पर देनी पडती थी। मूलतः कृषि पर आजीविका निर्भर होने से खेत होने के बाद भी उन्हें पूरी फसल नही मिल पाती थी। मध्यप्रदेश शासन की आत्मनिर्भर भारत की नीति के तहत और किसानों की आय को दोगुना करने के संकल्प के चलते आजीविका परियोजना द्वारा स्वसहायता समूहों को कस्टम हायर सेंटर की स्थापना से जोडा गया। समूह की दीदीयों ने प्रत्येक कस्टम हायर सेंटर के लिए एक लाख 5 हजार रूपये का अंशदान दिया और शासन की योजना के क्रम में प्रत्येक समूह को 15-15 लाख रूपये के कृषि यंत्र प्रदान किये गये। इन कृषि यंत्रो में ट्रेक्टर-ट्रॉली, रेटावेटर, कल्टीवेटर, सीडड्रिल, ट्रेक्टर स्प्रेपम्प और थ्रेसर शामिल है। 10 समूहो के माध्यम से स्थापित किये गये कस्टम हायर सेंटर से 115 हितग्राहियों को सीधा-सीधा लाभ मिल रहा है तथा गांव में स्थापित इन कस्टम हायर सेंटर के माध्यम से अन्य छोटे कृषक भी इन उपकरणों को न्यूनतम शुल्क पर किराये से लेकर खेती किसानी कर रहे है। जिससे समूह के लोग अपनी खेती तो कर ही पा रहे है, बल्कि किराये के माध्यम से अतिरिक्त आय भी इन समूहों को मिल रही है। अभी तक 400 किसानों के यहां 70 लाख रूपये मूल्य का कार्य किया जा चुका है।

पटोंदा में स्थापित कस्टम हायर सेंटर से जुडे जय दुर्गे स्वयहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सियावती बताती है कि हम छोटे किसान है, समय पर जुताई के लिए ट्रेक्टर नही मिलता था, तो कभी बीज बोने के लिए सीडड्रिल, इसके लिए हम पैसा देने के बाद भी दूसरो पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। हमारे समूह से जुडी महिलाओं के परिवार की खेती में हम इन उपकरणों का आसानी से उपयोग कर रहे है, इसके बाद गांव के अन्य जरूरतमंद किसानों को भी हम उपकरण न्यूनतम दर पर किराये से उपलब्ध कराते है। बर्धाखुर्द की लक्ष्मी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती मेवा बाई भी खुश है, कि

हमें अब दूसरो की ओर नही देखना पडता, मध्यप्रदेश की लोक कल्याणकारी सरकार ने हमें कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है। वे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को धन्यवाद देते हुए कहती है कि हम छोटे किसानों की आय को दोगुना करने के लिए जमीनी स्तर पर हमें सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

कलेक्टर श्री किशोर कुमार कन्याल ने बताया कि कस्टम हायर सेंटर से छोटे किसानों को लाभ मिल रहा है, उन्होने कहा कि हमने स्वसहायता समूह की दीदीयों को लखपति क्लब में शामिल करने के लिए कई प्रकार के नवाचार शुरू करते हुए उन्हें आजीविका मूलक गतिविधियों से जोडने का कार्य किया है, कई प्रकार की ऐसी गतिविधियों से महिलाओं को जोडने की ओर कार्य किया जा रहा है, जिससे उनके इनकम ऑफ सोर्स को बढाया जा सकें। साल के अंत तक हम 30 हजार दीदीयों को लखपति बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे है।

आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक श्री सोहनकृष्ण मुदगल ने बताया कि हमारा जिला कृषि प्रधान है, इसलिए हमारा फोकस कृषि आधारित व्यवसायों से दीदीयों को जोडने का है। कृषि के साथ ही हम उद्यानिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे है। सब्जी उत्पादन से भी समूह की दीदीयों को जोडने के लिए कार्य करते हुए उन्हें समूहो के माध्यम से आर्थिक और तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है।

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