बाइडेन प्रशासन के समाप्त होने से पहले अमेरिका ने भारत के लिए एमएच-60आर मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर इक्यूपमेंट देने का फैसला कर लिया है। अमेरिका से भारत को एमएच-60आर मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर इक्यूपमेंट मिलने का रास्ता साफ हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने इनकी ब्रिकी के लिए हां कर दी। इन उपकरणों की अनुमानित लागत 1.17 अरब अमेरीकी डॉलर है। इस अहम फैसले का पूरा विवरण डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया है।
भविष्य के खतरों को रोकने की क्षमता में सुधार
पॉलिटिकल मिलिट्री अफेयर्स, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट ने एजेंसी के विवरण को अपने एक्स हैंडल पर आज सुबह साझा किया। डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ने दो दिसंबर को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को एक अधिसूचना में बताया कि इन उपकरणों की बिक्री की प्रस्तावित योजना, भारत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं का उन्नयन कर वर्तमान और भविष्य के खतरों को रोकने की क्षमता में सुधार करेगी।
उपकरणों बिक्री की मंजूरी कार्यकाल के पूरा होने से कुछ सप्ताह पहले दी
महत्वपूर्ण यह है कि बाइडेन प्रशासन ने भारत को प्रमुख रक्षा उपकरणों की बिक्री की मंजूरी अपने चार साल के कार्यकाल के पूरा होने से कुछ सप्ताह पहले दी। पांच नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अगले साल 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।
30 एमआईडीएस-जेटीआरएस खरीदने का प्रस्ताव
डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी की अधिसूचना के अनुसार, भारत ने 30 ‘मल्टीफंक्शनल इन्फॉर्मेशन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम-जॉइंट टेक्टिकल रेडियो सिस्टम्स’ (एमआईडीएस-जेटीआरएस) खरीदने का प्रस्ताव रखा है। इस बिक्री में मुख्य रूप से अनुबंध ‘लॉकहीड मार्टिन रोटरी और मिशन सिस्टम’ के साथ होगा। इसके कार्यान्वयन में तकनीकी सहायता और प्रबंधन निरीक्षण के लिए अस्थायी आधार पर अमेरिकी सरकार के 20 या अनुबंध में शामिल कंपनियों के 25 प्रतिनिधियों की भारत की यात्रा की आवश्यकता होगी। बाइडेन प्रशासन का यह फैसला फैसला भारत के बेहद अहम माना जा रहा है।
भारत को क्या-क्या मिलेगा
1-30 मल्टीफंक्शन इंफोर्मेशन डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम ज्वाइंट टेक्टिकल रेडियो सिस्टम।
2-उन्नत डेटा ट्रांसफर सिस्टम, बाहरी ईंधन टैंक, फॉरवर्ड लुकिंग इंफ्रारेड सिस्टम।
3-ऑपरेटर मशीन इंटरफेस, अतिरिक्त कंटेनर आदि।
4-डिजाइन, निर्माण और परीक्षण में अमेरिकी मदद।