Friday, January 31, 2025

इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा ‘शादीशुदा मुस्लिम महिला का लिव इन रिलेशनशिप में रहना हराम’, शरीयत का हवाला दिया

sanjay bhardwaj 

इलाहबाद। दरअसल इस महिला ने अदालत से सुरक्षा माँगते हुए कहा था कि उसे और उसके हिंदू लिव इन पार्टनर को उसके पिता और रिश्तेदारों से खतरा है। इसलिए उसने अपनी जान की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। लेकिन न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की पीठ ने कहा कि किसी विवाहित मुस्लिम महिला का अन्य पुरुष के साथ लिव इन में रहना शरीयत के हिसाब से जिना (व्याभिचार) और हराम माना जाएगा।

इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा मुस्लिम महिला को लिव-इन रिलेशन में रहते हुए सुरक्षा देने से इनकार किया है। अदालत ने कहा है कि कोई विवाहित मुस्लिम महिला कानूनी रूप से शादीशुदा जिंदगी से बाहर नहीं आ सकती है और शरीयत को मुताबिक़ किसी अन्य व्यक्ति के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना हराम माना जाएगा।

 

हाईकोर्ट ने शरीयत का हवाला देते हुए लिव इन रिलेशनशिप को बताया हराम

दरअसल इस महिला ने अदालत से सुरक्षा माँगते हुए कहा था कि उसे और उसके हिंदू लिव इन पार्टनर को उसके पिता और रिश्तेदारों से ख़तरा है। इसलिए उसने अपनी जान की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी। लेकिन न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की पीठ ने कहा कि किसी विवाहित मुस्लिम महिला का अन्य पुरुष के साथ लिव इन में रहना शरीयत के हिसाब से जिना (व्याभिचार) और हराम माना जाएगा। अदालत ने कहा कि महिला के ‘आपराधिक कृत्य’ का अदालत द्वारा न तो समर्थन किया जाएगा, न ही उसे संरक्षित किया जा सकता है।

ये है पूरा मामला

याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति से फिलहाल तलाक़ नहीं लिया है और शादीशुदा रहते हुए ही वो अन्य हिंदु पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। उसकी शादी मोहसिन नाम के व्यक्ति के साथ हुई थी और मोहसिन ने 2 साल पहले दूसरी शादी कर ली और अब वो अपनी दूसरी पत्नी के साथ रह रहा है। पति द्वारा दूसरी शादी करने के बाद याचिकाकर्ता महिला अपने मायके चली गई लेकिन पति द्वारा गाली गलौज करने के बाद वो एक हिंदु व्यक्ति के साथ रहने लगी। उसका कहना है कि अब उसके परिवारवाले और रिश्तेदार उसके लिव इन रिलेशन में हस्तक्षेप कर रहे हैं और उन्हें ख़तरा हैं। लेकिन इस मामले में अदालत ने कहा है कि चूँकि महिला ने अभी तलाक़ की डिक्री हासिल नहीं की है और वो विवाहित है इसलिए उसका किसी अन्य हिंदुस्तान व्यक्ति के साथ लिव इन में रहना शरीयत के अनुसार हराम है। महिला ने अब तक न तो धर्म परिवर्तन के लिए कोई आवेदन दिया है न ही तलाक़ लिया है इसलिए वो सुरक्षा की हक़दार नहीं है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

error: Content is protected !!