भोपाल। प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के लिए अच्छी खबर है। खबर यह है कि पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा। बस्तों का वजन भी 2 किलो 200 ग्राम से लेकर 4 किलो 500 ग्राम तक सीमित रखा जाएगा। प्रदेश सरकार के इस फैसले से न सिर्फ बच्चों को राहत मिलेगी, बल्कि अभिभावकों की चिंता भी कम होगी। इसके साथ ही अब हर सप्ताह एक दिन सभी बच्चे बगैर बैग के स्कूल जाएंगे यानि नो बैग डे निर्धारित रहेगा। यह निर्णय लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूली बच्चों की पीठ पर लदे बस्तों का बोझ कम करने के लिए लिया है। विभाग ने सभी स्कूलों केा आदेश दिया है कि बस्ते को लेकर जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने में किसी तरह की कोताही न बरती जाए।
स्कूल में ही रहेगा छोटे बच्चों का स्टडी मटेरियल
-लोक शिक्षण विभाग की आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार शैक्षणिक सत्र वर्ष 2024-25 से नई स्कूल बैग पॉलिसी का सख्ती से कराया जाना है। निर्देश में उल्लेख है कि एक दिन बच्चों को बिना बैग के बुलाया जाए। बच्चों की रुचि और ज्ञान व्यावसायिक क्षेत्र में विकसित करने के लिए उनसे व्यसावसायिक कार्य अनुभव से संबंधित गतिविधियां कराई जाएं।
-पहली और दूसरी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों की एक्सरसाइज बुक, वर्क बुक सहित अन्य जरूरी स्टडी मटेरियल स्कूल में ही रखने की व्यवस्था कराई जाएगी।
-शिक्षा विभाग ने वर्ष 2020 में बैग पॉलिसी जारी की थी लेकिन कोविड संक्रमण काल की वजह से तत्कालीन समय में यह सख्ती से लागू नहीं की जा सकी। अब नए शिक्षण सत्र से इस व्यवस्था का कड़ाई से पालन कराने का प्रयास है। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि सभी सरकारी, निजी और अनुदान प्राप्त स्कूलों को नोटिस बोर्ड पर चार्ट प्रदर्शित करना होगा।
होमवर्क पर रहेगी शाला प्रबंधन समिति की नजर
-लोक शिक्षण विभाग की पॉलिसी के अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा तक 1.6 किलोग्राम से 2.5 किलोग्राम तक और छठवीं से दसवीं कक्षा तक 2 किलोग्राम से 4.5 किलोग्राम तक बस्तों का वजन रहेगा।
-कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों को प्रति हफ्ते 2 घंटे, 6 से 8 कक्षा के छात्रों को प्रतिदिन 1 घंटे और कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों को प्रतिदिन 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा।
-प्रत्येक स्कूल को बस्ते के वजन का चाट बनाकर नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा। इस प्रक्रिया पर स्कूल प्रबंधन समिति नजर रखेगी। समिति का दायित्व है कि बच्चों का समय इस तरह से निर्धारित किया जाए कि सभी पुस्तकें और अभ्यास पुस्तकें प्रतिदिन न लानी पड़ें।
-कंप्यूटर, नैतिक शिक्षा, सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य, शारीरिक शिक्षा, खेल और कला की कक्षाओं को बगैर पुस्तक के लगाया जाएगा।