Friday, January 10, 2025

भारत की बड़ी जीत,कतर जेल से रिहा 8 पूर्व नौसैनिक,जासूसी के आरोप से हुए बरी, 7 लौटे देश

कतर से रिहा हुए पूर्व नौसैनिकों में से कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी ग्वालियर से संबंध रखते हैं. इनके अलावा पूर्व सैनिक कैप्टन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके शर्मा, सुगुनाकर पकाला के अलावा नाविक रागेश शामिल हैं.

दिल्ली। भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को बड़ी राहत मिली है. उन्हें रिहा कर दिया गया है. आरोप थे कि वे जासूसी में शामिल रहे हैं. भारत ने इसके लिए बड़ी कूटनीतिक लड़ाई लड़ी। कतर की जेल में बंद 8 भारतीय पूर्व सैनिकों (म्Û छंअल व्ििपबमते) को स्थानीय अदालत ने रिहा कर दिया है. कतर पुलिस ने जासूसी (म्ेचपवदंहम) के आरोपों में पूर्व नौसैनिकों को बंदी बनाया था. रिहाई के बाद 7 पूर्व नौसैनिक भारत लौट आए हैं. विदेश मंत्रालय ने कतर के इस फैसले का स्वागत किया है।

नौसैनिकों के घर आने पर विदेश मंत्रालय ने खुशी जाहिर की है. उल्लेखनीय है कि इन अधिकारियों को मौत की सजा मिली थी लेकिन भारत सरकार की विदेश नीति और कूटनीतिक दबाव की वजह से कतर की अदालत ने निष्पक्षता के साथ जांच कराई, जांच के बाद पूर्व नौसैनिकों को बरी कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है. उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी कराने के लिए कतर राज्य के फैसले की सराहना करते हैं।

उम्रकैद को बदलकर जवानों को मिला था आजीवन कारावास

कतर और भारत के बीच कई स्तर की राजनयिक वार्ता हुई थी. इन कैदियों को मौत की सजा मिली थी, जिसे उम्र कैद में बदल दिया गया था. जेल में बंद नौसैनिकों को रिहा कराने के लिए भारत सरकार ने हर स्तर पर प्रयास किए. पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों ने विदेश मंत्रालय को सूचित किया, जिसके बाद भारतीय राजनयिक सक्रिय हुए.

कई स्तर की कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया. मुकदमा लड़ा गया, जिसमें भारतीय पक्ष की जीत हुई. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि कतर में कैद कुल आठ पूर्व भारतीय नौसेना अधिकारियों में से सात भारत लौट आए हैं. आखिरी शख्स को भी लाने की कोशिश की जा रही है.

जानिए कतर की जेल में क्यों पहुंचे थे पूर्व नौसैनिक

दरअसल, भारतीय नौसेना से रिटायर होकर कतर की निजी कंपनी मंे काम के लिए पहुुंचे थे. अक्टूबर 2022 में कतर पुलिस ने 8 पूर्व सैनिकों पर आरोप लगाया कि वे एक पनडुब्बी पर जासूसी कर रहे थे. कोर्ट में सुनवाई के बाद सभी को दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी. इस सजा को लेकर पूर्व सैनिकों के परिजन ने सरकार से गुहार लगाई. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर काम करने का आश्वासन दिया और अल दुहरा केस में दबाव बनाकर नौसैनिकों को दी गई मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
इसलिए गए थे देश के सिपाही
भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिक दोहा स्थित अल-दोहरा टैक्नोलाॅजी कंपनी में काम करने के लिए नियुक्त हुए थे. यह कंपनी सशस्त्र बल और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण सहित अन्य सेवाएं प्रदान करती है. बीते वर्ष 28 दिसंबर को कतर की अदालत ने इन नौसैनिकों को सजा सुनाई थी. भारतीय अपील के बाद मौत की सजा को बदलकर न्यूनतम 3 वर्ष से लेकर 25 वर्ष तक की सजा सुनाइ्र्र गई.

ये हैं रिहा हुए सैनिकों के नाम

कतर से रिहा हुए पूर्व नौसैनिकों में से कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी ग्वालियर से संबंध रखते हैं. इनके अलावा पूर्व सैनिक कैप्टन नवतेज गिल, सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके शर्मा, सुगुनाकर पकाला के अलावा नाविक रागेश शामिल हैं.

पूर्व भारतीय नौसैनिकों में से कैप्टन नवतेज गिल को उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था. गिल ने नौसेना अकादमी से स्नातक की उपाधि हासिल की थी. वे तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ काॅलेज में प्रशिक्षक भी रहे.

इस तरह किए हमारी सरकार ने प्रयास

-कतर की निचली अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को गलत बताते हुए आपत्ति जताई थी. सरकार ने सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा देश से किया. 28 दिसंबर को कतर की अपीली अदालत ने मौत की सजा को जेल में बदल दिया.

-भारत सरकार ने पूर्व सैनिकों के परिजन से वादा किया कि सभी राजनीतिक-कूटनीतिक संभावनाओं का उपयोग कर वापस लाने का प्रयास किया जाएगा. पूर्व सैनिकों की वापसी के लिए विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई.
-दुबई में हुए 28 वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के साथ मुलाकात की थी.

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