sanjay bhardwaj
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दो पूर्व प्रधानमंत्री और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामिनाथन को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया। जिन 2 पूर्व प्रधानमंत्री को ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया गया है उनमें पीवी नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह शामिल हैं। आमतौर पर एक वर्ष में तीन ‘भारत रत्न पुरस्कार’ दिये जाते हैं। लेकिन, इस साल सरकार ने 5 हस्तियों को इस पुरस्कार के लिए नामित किया है। इनमें दिग्गज भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर भी शामिल हैं।
भारत रत्न बनने जा रहे है यह पाॅच विशिष्ट लोग
1. लालकृष्ण आडवाणी (पूर्व उप-प्रधानमंत्री)
लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा रहे हैं। 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आडवाणी को भारत रत्न देकर भाजपा ने अपने मतदाताओं को एक तरह से संदेश दिया। भाजपा पर मंदिर आदोलन के बड़े चेहरों में शामिल आडवाणी की उपेक्षा के आरोप लग रहे थे। जब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई तब भी यह मुद्दा विपक्ष ने उठाया। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के 10 दिन के अंदर आडवाणी को भारत रत्न देकर भाजपा ने विपक्ष से यह मुद्दा छीन लिया। इसके साथ ही उसने अपने परंपरागत मतदाताओं को भी यह संदेश दिया कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं का कितना सम्मान करती है।
2. चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री)
चौधरी चरण सिंह की किसानों के मसीहा के रूप में पहचान रही है। अगले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जाट बहुल सीटों पर चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने का असर पड़ सकता है। इन इलाकों की करीब 40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जाट मतदाताओं का असर माना जाता है। चैधरी चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चैधरी की भाजपा के साथ जाने की अटकलें पिछले कई दिनों से लग रही हैं। चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के बाद जयंत ने ट्वीट किया, ‘दिल जीत लिया।’ जयंत चौधरी अगर भाजपा के साथ जाते हैं तो पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को काफी फायदा हो सकता है।
3. पीवी नरसिम्हा राव (पूर्व प्रधानमंत्री)
विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा कि प्रधानमंत्री मोदी प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की हमेशा आलोचना करते हैं और कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों के प्रति उनका रवैया आलोचनात्मक है। एक दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह की प्रशंसा की थी और कहा था कि वे व्हीलचेयर पर भी सदन में आते रहे और लोकतंत्र को ताकत देते रहे। अगले ही दिन नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का एलान हो गया। नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत रत्न देने का एलान विपक्ष को करारा जवाब इसलिए भी है, क्योंकि भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस ने बतौर प्रधानमंत्री राव के योगदान को हमेशा नजरअंदाज किया। यहां तक कि मोदी के कट्टर आलोचक मणिशंकर अय्यर ने तो एक बार राव को भाजपा का पहला प्रधानमंत्री तक करार दे दिया था।
4. कर्पूरी ठाकुर (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री)
जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की गई हैं। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सामाजिक न्याय के नायक थे। जानकारों का कहना है कि केंद्र के इस कदम से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मदद मिल सकती है। बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर 63ः की भागीदारी वाले समाज पर कर्पूरी ठाकुर का बहुत बड़ा प्रभाव है। यह वर्ग उन्हें अपने नायक के तौर पर देखता है। कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर जदयू के राज्यसभा सांसद हैं। कर्पूरी को भारत रत्न मिलने के आठ दिन बाद ही भाजपा और जदयू एक बार फिर साथ आ गए।
5. एमएस स्वामीनाथन (कृषि क्रांति के जनक)
स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न देने से दक्षिण को साधने की मोदी सरकार की रणनीति को और मजबूती मिल सकती है। स्वामीनाथन कृषि क्रांति के जनक थे। बतौर वैज्ञानिक उनकी बेमिसाल उपलब्धियां रही हैं। उनकी शख्सियत दक्षिण भारत के प्रतिभावान लोगों का भी प्रतिनिधित्व करती रही है। उन्हें भारत रत्न देने से दक्षिण के साथ ही भाजपा की किसानों को साधने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।