ग्वालियर। वर्तमान में पुलिस सायबर क्राइम जैसे अपराधों से निपट रही है। इसके साथ ही हम पुरातनकाल से चली आ रही बंधुआ मजदूरी जैसी कुप्रथा की शिकायतों पर भी कार्रवाई करते हैं। आप सभी को पता होना चाहिए कि बंधुआ मज़दूरी प्रणाली (उत्सादन) अधिनियम-1976 के अंतर्गत “जब एक देनदार, किसी एक लेनदार को, समझौते(एग्रीमेंट) के तहत, उसे पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बंधुआ मजदूरी के लिए मज़बूर करता है”तो वह दोषी हो जाता है। कानून की परिभाषा के अनुसार कोई भी मजदूर को बंधुआ नहीं बना सकता, अगर कोई प्रताडि़त करे तो पुलिस के संज्ञान में लाएं। यह जानकारी सीएसपी हिना खान ने बंधुआ उन्मूलन दिवस पर हुए कार्यक्रम के दौरान दी।
बंधुआ मजदूरी उन्मूलन दिवस पर शुक्रवार को कटोरा ताल स्थित खुले मंच पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर सीएसपी हिना खान मौजूद थीं। जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में लेबर इंस्पेक्टर आलोक शर्मा, विषय विशेषज्ञ एडवोकेट दिव्यांगी भार्गव, अमीन खान के अलावा समाजसेवी नंदिनी कुमार, आधार सिक्योरिटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के एमडी दिलीप शर्मा, पथ के संचालक विकास जैन, स्वर्ग सदन के संचालक विकास गोस्वामी सहित अन्य मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी की वरिष्ठ उद्घोषिका तूलिका शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन हार्टबीट फाउंडेशन के डायरेक्टर आलोक बैंजामिन ने किया। इस दौरान जीवाजी विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान संकाय की छात्राओं में श्रुति सूद, कादंबरी घोरपड़े, नीलेश सिंह, श्रद्धा त्रिवेदी, तान्या यादव, समाजसेवी, क्षेत्रीय मजदूरों के अलावा फाउंडेशन के वालंटियर संदीप जॉय, ऋषि, ओसीन, संजय सिंह, अनुसार, हिम्मत ङ्क्षसह, ऋतिक सिंह, राजेन्द्र, यश सहित अन्य मौजूद थे।
यह दी जानकारी
-एडवोकेट दिव्यांगी भार्गव ने बताया कि बंधुआ मज़दूरी के प्रकरण पुलिस की जानकारी में जरूरी लाए जाएं। श्रम निरीक्षक आलोक शर्मा ने मजदूरों के लिए श्रम विभाग की योजनाओं के बारे में बताया। अमीन खान ने रेस्क्यू के बारे में जानकारी दी एवं वस्तु स्तिथि से अवगत कराया। मनोवैज्ञानिक काउंसलर आलोक बैंजामिन ने बंधुआ मजदूरी से मुक्ति को लेकर हो रहे प्रयासों में और तेजी लाने को लेकर जानकारी दी।
यह है वर्तमान स्थिति
मनोवैज्ञानिक काउंसलर ने बताया कि बीस दिन पूर्व शिवपुरी जिले के 60 मजदूरों को कर्नाटक राज्य से मुक्त कराया गया जहां दबंग इनसे बंधुआ मज़दूरी कर रहे थे। एनसीआरबी के अनुसार 2020 से 2022 के बीच में बंधुआ मजदूरी प्रणाली उन्मूलन अधिनियम, 1976 के तहत 2638 प्रकरण पंजीकृत किए गए हैं।
जानिये क्या है बंधुआ मजदूरी
-संचालक द्वारा मजदूरी के लिए रखने के बाद आवाजाही पर प्रतिबंध लगाना। दूसरा काम खोजने पर पाबंदी लगाना।
-किसी उत्पादक द्वारा तैयार किए गए माल को उसकी मर्जी के मूल्य पर बाजार में विक्रय करने पर पाबंदी लगाना। संचालक द्वारा सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी न देना।
-शारीरिक प्रताडऩा, गाली-गलौच, स्वास्थ्य और सुरक्षा की अनेदखी, यौन उत्पीडऩ, बलात्कार, जातिगत ङ्क्षहसा, तस्करी करके मानव खरीद फरोख्त, बाल मजदूरी, वित्तीय अपराध आदि शामिल हैं।
यहां से आती हैं शिकायतें
-ईंट भट्टा, खदान/ क्रशर, मछली पालन, प्रथागत मजदूरी, संनिर्माण, होटल/ढाबे, फैक्टरी, प्लेसमेंट/ घरेलू नौकर, पशु चराना।
यह होती है कार्रवाई
-अनुबंध को समाप्त कर मजदूर पर जबरन लादे गए ऋण को समाप्त कर दिया जाता है।
-बंधुआ मजदूरी कराने वाले को तीन वर्ष की जेल और 2000 रुपए जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
-बंधुआ मजदूरी को कानून में संज्ञेय अपराध में शामिल किया गया है।
-जांच के लिए विजिलेंस कमेटी का गठन किया जाता है।