ग्वालियर : भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव “तानसेन समारोह” के तहत रविवार की सुबह पारंपरिक ढंग से हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह का इस साल 100वाँ वर्ष है।
रविवार की प्रात: बेला में तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खाँ एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत श्री सच्चिदानंद नाथ जी ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तो को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं।
ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से कामिल हज़रत जी ने मीलाद का गायन किया। इसके बाद कब्बाली के साथ चादरपोशी की गई।