ग्वालियर-भिंड-इटावा रेलवे लाइन के दोहरीकरण को लेकर रेलवे के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जल्द ही इलेक्ट्रिक लाइन के लिए डीपीआर तैयार होगी। ग्वालियर के बिरलानगर से उत्तर प्रदेश के इटावा तक 114 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर छह ओवर ब्रिज और 18 अंडर ब्रिज का निर्माण कराए जाने के लिए स्थान चिह्नित किए गए हैं।
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस लाइन पर निरीक्षण में उन स्थानों को देखा जा रहा है, जहां ओवर व अंडर ब्रिज बनाए जाने की आवश्यकता है, इसके बाद डीपीआर व आगे की प्रक्रिया चलेगी। एक से डेढ़ माह के बीच इन ब्रिजों के निर्माण को लेकर मंजूरी मिल जाएगी। ग्वालियर से इटावा के बीच अभी सिंगल लाइन है। इस पर ही अप और डाउन दोनों ओर की ट्रेनों का आवागमन होता है। ऐसे में यदि इस लाइन पर निरीक्षण में उन स्थानों को देखा जा रहा है, जहां ओवर व अंडर ब्रिज बनाए जाने की आवश्यकता है, इसके बाद डीपीआर व आगे की प्रक्रिया चलेगी। एक से डेढ़ माह के बीच दोनों ओर से ट्रेन एक साथ आ जाती हैं, तो एक गाड़ी को आउटर में या किसी स्टेशन पर रोका जाता है, तब दूसरी गाड़ी की क्रासिंग हो पाती है। इससे यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है।ट्रेन को भिंड से ग्वालियर के बीच की दूरी तय करने में ही दो घंटे से अधिक का समय लग रहा है। भिंड रेलवे से स्टेशन से दिल्ली, अहमदाबाद और भोपाल के लिए ट्रेन चलाए जाने की मांग लंबे समय से चल रही है। ऐसे में इस लाइन का दोहरीकरण होने से एक तरफ जहां ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। वहीं ट्रेनों को क्रॉस करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। गुना से ग्वालियर होती हुई ब्राडगेज लाइन भी भिंड तक 2002 में आ सकी थी। इसके बाद भिंड से इटावा तक 34 किलोमीटर की दूरी तय करने में रेलवे को पूरे 13 साल लगे थे। भिंड से इटावा तक रेलवे लाइन पूरी होने के बाद 27 फरवरी 2016 को इटावा रूट पर ट्रेनों का आवागमन शुरू हुआ था। ग्वालियर-इटावा लाइन के बीच वर्तमान में इटावा-ग्वालियर मेमू ट्रेन, भिंड-इंदौर इंटरसिटी के अलावा साप्ताहिक व स्पेशल ट्रेन भी शामिल हैं। रेलवे द्वारा इस मार्ग से मालगाड़ियों को भी निकाला जाता है।