ग्वालियर। विश्व में शिक्षा पर ही जोर दिया जाता है परंतु भारत में शिक्षा के साथ दीक्षा का अपना महत्व है। जिससे व्यक्ति को संस्कार मिलते हैं। संस्कार विहीन शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। बुद्धमान तो आतंकवादी भी होते हैं, लेकिन वह शिक्षा और बुद्धि का दुरुपयोग करते हैं। जबकि भारतीय प्रतिभाएं आज संस्कारित शिक्षा के साथ तकनीकी क्षेत्र सहित अन्य विधाओं में विश्व में सर्वोच्च शिखर पर हैं। आज भारतीय प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। यह बात राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.सुधांशु त्रिवेदी ने शनिवार को जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल सभागार में आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में मुख्यवक्ता की आसंदी से कही। मध्यभारत शिक्षा समिति ग्वालियर के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम का विषय भारतीय शिक्षा दर्शन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उत्प्रेरक वातावरण एवं व्यवहारिक शिक्षा था। कार्यक्रम में जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो.अविनाश तिवारी, मध्यभारत शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र बांदिल एवं उपाध्यक्ष डॉ.राकेश कुशवाह भी मंचासीन रहे।
खचाखाच भरे अटल सभागार में श्रोताओं को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.त्रिवेदी ने कहा विश्व कहता है कि भारत अशिक्षित है जबकि विश्व में डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में भारत प्रथम स्थान पर है। इससे साबित होता है कि हम शिक्षा के मामले में पिछड़े हुए नहीं हैं। सती प्रथा सहित अन्य मामलों को लेकर भी भारत पर कटाक्ष किए जाते रहे हैं। स्त्री का सम्मान हमें कैसे करना चाहिए यह विश्व हमें क्या सिखाएगा, क्योंकि हमारें यहां तो यूरोप और अमेरिका से पहले वैदिककाल में भी महिलाओं का स्थान कमतर नहीं था। गार्गी सहित कई महिलाओं ने ऋचाएं लिखी हैं। यही नहीं आद्य शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच शास्त्रार्थ हुआ तो उसकी निर्णायक भी मंडन मिश्र की पत्नी थीं। अहिल्याबाई, वीरांगना लक्ष्मीबाई, दुर्गावती जैसी महिलाओं ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। उन्होंने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी विरासत पर गौरव करना चाहिए। समिति के अध्यक्ष प्रो.बांदिल ने बताया कि मध्यभारत शिक्षा समिति शून्य से शिखर तक शिक्षा के लिए संकल्पित है।
आगामी समय में ग्वालियर में एक नया विश्वविद्यालय शुरू किया जाएगा। साथ ही गणेश बाग में एक नया कन्या विद्यालय एवं गणेश मंदिर का पुनरोद्धार किया जाएगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने पौधरोपण भी किया। साथ ही घोष वादन का निरीक्षण भी किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंदाकिनी शर्मा, त्रुष्टुप चंसौलिया ने किया।
इस अवसर पर पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर, कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ.अरविंद शुक्ला, राजा मानसिंह कला एवं संगीत विवि की कुलगुरु स्मिता सहस्त्रबुद्धे, कुलगुरु प्रो.योगेश उपाध्याय, सूचना उपायुक्त उमाशंकर पचौरी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ग्वालियर विभाग संघचालक प्रहलाद सबनानी, आईआईटीटीएम के निदेशक प्रो.आलोक शर्मा, पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, सभापति मनोज तोमर आदि उपस्थित रहे।
ग्वालियर में अटल जी की पराजय पर जताया अफसोस
डॉ.त्रिवेदी ने कहा कि हम अटल जी की कर्मभूमि लखनऊ से उनकी जन्मभूमि ग्वालियर आया हूं। संयोग से जहां उद्बोधन दे रहा हूं उसका नाम भी अटल सभागार है। उन्होंने बताया कि 1984 में अटल जी की ग्वालियर में हुई पराजय पर हमारे लखनऊ के कांग्रेस के नेताओं ने भी अफसोस जताया था। उनका मानना था कि अटल जी जैसे व्यक्तित्व को संसद में होना चाहिए था।
बंटेगे तो कटेंगे का बताया परिणाम
उन्होंने बंटेगे तो कटेंगे का परिणाम भी उदाहरण देते हुए बताया। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में सिलहट को लेकर यह तय होना था कि वह भारत में रहेगा या पाकिस्तान में शामिल होगा, लेकिन पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री रहे श्री मंडल ने अनुसूचित जनजाति के लोगों को यह कहकर बरगलाया था कि हम मुसलमानों का साथ देंगे तो सत्ता में रहेंगे। इसलिए जनमत संग्रह में पाकिस्तान को चुनें। पाकिस्तान में शामिल होते ही वहां की हिंदूओं को मुल्सिम धर्म अपनाने के लिए बाध्य किया गया। जिसका श्री मंडल ने विरोध किया था, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। और वह भारत आ गए। भारत में वह गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हुए। पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश की जीडीपी अधिक थी, लेकिन आज उसकी जीडीपी गिर गई है।
बच्चों ने दी मनोहारी प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में मध्यभारत शिक्षा समिति द्वारा संचालित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों ने मनोहारी प्रस्तुतियां दी। देवी अहिल्या बाई होल्कर नाटिका, गंगा स्तुति समूह गान, राष्ट्र वंदना, एकल नृत्य, पर्यावरण समस्या पर नुक्कड नाटिका, योग एवं कराटे आदि की प्रस्तुति को सभी ने सराहा।