Sunday, January 12, 2025

नुक्कड़ नाटक एवं कठपुतली के माध्यम से किया जागरूक

मुरैना : मुरैना 17 नवंबर 2024 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मुरैना के निर्देशन में मुरैना शहरी क्षेत्र के हाई रिस्क वार्ड गणेशपुरा ,संजय कॉलोनी,सुभाष नगर में नुक्कड़ नाटक एवं कठपुतली के माध्यम से लोगों को वेक्टरजनित रोग जैसे मलेरिया,डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारी से बचने एवं रोकथाम के बारे में जागरूकता कार्यक्रम किया गया साथ ही ये भी बताया कि वर्षाकाल के दौरान हमारे घर व आसपास तथा छतों पर विभिन्न प्रकार के खुले पड़े जलपात्रों जैसे पानी की टंकी, टायर, गमले, कूलर, मिटटी के दिये, छत, मटके, पाइप, गढढें, मनी प्लांट के पॉट, प्लास्टिक की बोटल, कप, गिलास, टूटा फुटा सामान / खिलौने, कनस्तर व अन्य सामान में भरा पानी नच्छरों के पनपने के प्रमुख स्थान ब्रीडिंग सोर्स है। इनमें मच्छर अण्डे देते हैं, इनसे 2-3 दिवस में लार्वा निकलता है 3-4 दिन बाद प्यूपा में बदलकर 3 दिन बाद मच्छर बनकर उड़ जाता है इस प्रकार 7 से 12 दिवस के भीतर मच्छर अपना उत्पत्ति चक साफ व रुके पानी में पूर्ण करते हैं। अतः इनकी रोकथाम हेतु समस्त जलपात्रों में भरा पानी शीघ्र खाली करें व नियमित रुप से 7 दिवस के भीतर जलपात्रों में भरा पानी खाली करें। डेंगू का मच्छर सामन्यत दिन में काटता है व उत्पत्ति स्थल के 400 मीटर के दायरे में सक्रिय रहता है तथा घरों में नमी व अंधेरे वाले स्थानों में छुपकर विश्राम करता है।
एडीज मच्छर डेंगू मरीज को काटने पर संक्रमित होकर अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को काटकर डेंगू बीमारी का प्रसार करते है। और स्वस्थ्य व्यक्ति डेंगू से बीमार हो जाते है। डेंगू संक्रमित व्यक्ति को प्रारम्भिक लक्षण जैसे कमजोरी, तेज बुखार, सिर व हाथ पैर में दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं इसके पश्चात मरीज के शरीर/आंखों में रक्त के चकत्ते दिखना या नाक, मसूडे, या अन्य स्थान से रक्तस्राव होने व उल्टी के लक्षण दिखायी देते है। उपचार में विलम्ब से बीमारी की गंभीरता में मरीज को चक्कर आना, मूर्छित होना,शॉक में चले जाने की स्थिति बन सकती है। अतः उक्त लक्षण होने पर तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक से परामर्श लेकर उचित उपचार लेना चाहिये। डेंगू के लक्षण पाये जाने पर बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा विशेषकर दर्द निवारक दवा का सेवन नहीं करना चाहिये। इससे मरीज गंभीर भी हो सकता है अतः चिकित्सक से परामर्श उपरान्त ही उचित उपचार लेवें।
बुखार होने पर पैरासीटामोल की दवा (उम्रानुसार उचित मात्रा में) ली जा सकती है। संभावित डेंगू के लक्षण होने पर झोलाछाप व अप्रशिक्षित / अवैध उपचार करने वालों से उपचार नहीं करावें इससे स्वास्थ्य स्थिति बिगड सकती है। डेंगू होने पर डरने व घबराने की अनावश्यक नहीं है अनावश्यक दवाओं व भ्रांतियों से बचे व चिकित्सक चिकित्सालय ग्वालियर व मेडीकल कॉलेज ग्वालियर में अथवा अस्पताल में उचित उपचार लेवें। जिले में डेंगू व चिकुनगुनिया की जांच जिला निःशुल्क की जाती है। संभावित रोगी तत्काल अपनी जांच करावें। ताकि समय पर डेंगू संक्रमण की पहचान कर उपचार किया जा सके व प्रभावित क्षेत्र में नियंत्रण कार्यवाई की जा सके।
जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर मरीज को पूर्ण उपचार के साथ फलों का रस, नारियल पानी, दाल का पानी,ओ.आर.एस. का घोल व पानी पर्याप्त मात्रा में पीने से शीघ्र लाभ मिलता है। डेंगू के प्रसार को रोकने व बचाव के लिये अपने घर व आसपास अनावश्यक पानी जमा नहीं होने दें। व खुली टंकियों को ढंककर रखें, अनावश्यक कबाड का सामान नष्ट करें या उनमें पानी इकटठा न होने दें। सप्ताह में एक बार आवश्यक रुप से टंकी, मटके, कूलर व अन्य उपयोगी जलपात्रों में भरा पानी बदलें। व जिन अनुपयोगी जलपात्रों को का पानी नहीं बदल सकते उनमें मिटटी का तेल/खाने का तेल/ गांडियों से निकला ऑयल डालने से मच्छर के लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते है। मच्छरों से बचाव के लिये हमें पूरे बाह के कपडे पहनना चाहिये।, दिन में मास्क्यूटो रिपेलेंट व मच्छररोधी कीम/अगरबत्ती का उपयोग कराना चाहिये। तथा सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिये। डेंगू से बचाव की जानकारी आपस में अपनी परिवार / मित्रों / रिश्तेदारों व सोसाइटी को भी बतावे जिससे सभी जन स्वयं अपने घर व आसपास डेंगू फेलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति को राकने में अपना सहयोग दे सकें। डेंगू की जानकारी व जन सहयोग से डेंगू के प्रसार को रोका जा सकता है।

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