भोपाल : ग्वालियर में एक दौर ऐसा भी रहा है कि जब गोपाचल पर्वत से पत्थर लुढ़कते हुए नीचे की ओर आते थे, तो उनमें भी संगीत की खनक सुनाई देती थी। सदियों पुरानी शास्त्रीय संगीत परंपरा की धरोहर रहा यह शहर इस वर्ष तानसेन समारोह के शताब्दी वर्ष के उत्सव में सराबोर रहेगा। यूनेस्को द्वारा ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’ के रूप में घोषित ग्वालियर में 15 दिसंबर से 19 दिसंबर तक संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में तानसेन समारोह मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 15 दिसंबर को ग्वालियर में तानसेन समारोह का शुभारंभ करेंगे।
उल्लेखनीय है कि तानसेन समारोह ग्वालियर के पास ही बसे बेहट गांव में आयोजित किया जाता है। बेहट गांव संगीत सम्राट तानसेन का जन्म स्थान है। सदियों से बह रही झिलमिल नदी के किनारे होने वाला यह समारोह शास्त्रीय संगीत की मधुर तान, पक्षियों का मधुर मंद कलरव और नदी में बहते पानी की आवाज का मधुर रस एक अनूठी अध्यात्मिक अनुभूति का अहसास कराता है।
शताब्दी वर्ष के मुख्य समारोह में देश के 150 ख्यातिलब्ध कलाकार अपनी सांगितिक प्रस्तुतियां देंगे। इसके अलावा विश्व संगीत कार्यक्रम अंतर्गत 10 विदेशी कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। साथ ही 550 से अधिक दुर्लभ वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन एक प्रमुख आकर्षण होगा, यह प्रदर्शनी तानसेन समाधि परिसर में लगाई जाएगी।
प्रमुख सचिव पर्यटन व संस्कृति विभाग श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि, संगीत सम्राट तानसेन का अखिल भारतीय शताब्दी समारोह गमक के साथ 14 दिसंबर को शुरू होगा। इस अवसर पर संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को अलंकृत किया जाएगा। वर्ष-2023 का राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण 18 दिसंबर की शाम कोलकाता के तबला वादक पं. स्वपन चौधरी को दिया जाएगा। तो वहीं, वर्ष-2023 का राजा मानसिंह तोमर अलंकरण से इंदौर की सानंद संस्था को दिया जाएगा। संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाला यह समारोह ग्वालियर के अलावा मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों और देश के विभिन्न राज्यों में भी आयोजित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश पर्टयन के सहयोग से आयोजन में आने वाले संगीत प्रेमियों एवं पर्यटकों के लिए सिटी टूर, हेरिटेज वॉक सहित अन्य गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी संगीत केंद्रित कार्यक्रम
पहली बार तानसेन समारोह को प्रदेश के बाहर भी आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रीय आगाज श्रृंखला के अंतर्गत चार राज्यों में संगीत सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत चार राज्यों राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश में संगीत केंद्रित कार्यक्रम होंगे।
22 नवम्बर, 2024, जवाहर कला केन्द्र, जयपुर (राजस्थान)
वायलिन वादन : पं.प्रवीण शेवलीकर और चेताली शेवलीकर, भोपाल
तबला वादन : डॉ.प्रवीण उद्धव और श्रुतिशील उद्धव, उज्जैन
गायन : सुश्री गौरी पाठारे, मुम्बई
24 नवम्बर, 2024, फैकल्टी ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, महाराजा सयाजी राव विश्वविद्यालय, बढ़ौदा
गायन : डॉ.पूर्वी निमगांवकर, इंदौर
संतूर-सितार जुगलबंदी : डॉ.वर्षा अग्रवाल, उज्जैन एवं पंडित असित गोस्वामी, बीकानेर
तबला वादन : पंडित शुभ महाराज, वाराणसी
26 नवम्बर, 2024, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ (छत्तीसगढ़)
गायन : श्री भुवनेश कोमकली, देवास
संतूर-सितार जुगलबंदी : पंडित अरुण मोरोने एवं आयुष मोरोने, इंदौर
तबला वादन : पंडित जयदीप घोष, कोलकाता
राष्ट्रीय आगाज श्रृंखला का अंतिम आयोजन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में होगा।
बार कोड स्केन कर सुनेंगे दुर्लभ राग, बंदिशें और प्रस्तुतियां
तानसेन समारोह के विगत 100 वर्षों में मूर्धन्य कलाकारों द्वारा दी गई विशेष प्रस्तुतियों को शताब्दी वर्ष के मुख्य समारोह के दौरान संगीत एवं कलाप्रेमी सुन सकेंगे। इन्हें सुनने के लिए बार कोड की सुविधा उपलब्ध रहेगी जिसे स्केन करके संगीतप्रेमियों के मोबाइल फोन में यू-ट्यूब के माध्यम से दुर्लभ राग, बंदिशें एवं प्रस्तुतियों को सुन सकेंगे। संस्कृति विभाग द्वारा पहली बार इस तरह का नवाचार संगीत प्रेमियों के लिए दी जा रही है।
ध्रुपद के विस्तार व व्यापकता पर होगा सेमिनार
मध्यप्रदेश में ध्रुपद की वर्तमान स्थिति, विस्तार तथा व्यापकता आधारित सेमिनार का आयोजन 16 से 18 दिसम्बर में किया जायेगा, जिसमें देश भर के 100 से अधिक स्कॉलर सम्मिलित होंगे। समापन अवसर पर इसके दस्तावेजों को लोकार्पित किया जायेगा।