Thursday, January 16, 2025

सनातन धर्म और विज्ञान: मृत व्यक्ति के घर से या श्मशान से आने के बाद स्नान क्यों?

sanjay bhardwaj

हमें अपने नजदीकी परिवार के व्यक्ति या मित्र परिवार के व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात् वहाँ जाना, परिवार को सांत्वना देना, यह अपने कर्तव्य का भाग है। स्वाभिवकतः वहाँ जाने के पश्चात् थोड़ी देर वहाँ रहना, मृतव्यक्ति के शरीर के पास बैठना लाजमी होता है। वहाँ से अथवा श्मशान या कब्रिस्तान से आना अशुभ है और इसलिए शुद्धीकरण के लिए स्नान करना आवश्यक है, ऐसी मान्यता अपने धर्म में मानी गई है।

शास्त्रीय दृष्टिकोण, हम यह समझें कि मृत्यु यानी क्या। मेडिकल शब्दावली में दो प्रकार की मृत्यु होती है। एक नैदानिक मृत्यु, दूसरी जैविक मृत्यु। क्लीनिकल डेथ यानी जब हमारा हृदय काम करना बंद कर देता है, हमारे फुफ्फुस काम करने में श्वासोच्छ्वास रुक जाता है तथा पल्स नहीं लगती, किंतु हमारे शरीर के कुछ अवयव जैसे कि मूत्रपिंड, आँखें जीवित रहती हैं और ये हमें प्रतिरोपण में काम आ सकती हैं, किंतु बायलॉजिकल डेथ में मस्तिष्क या दिमाग की मृत्यु हो जाती है। अधिकतर शरीर के सभी भाग काम करना बंद कर देते हैं और प्रतिरोप के काम के नहीं रहते। इसलिए क्लीनिकल डेथ के पश्चात् जीवनरक्षी मशीन , जैसे वेंटिलेटर की मदद से कुछ समय तक इन अवयवों को जीवित रखा जा सकता है, जिससे प्रतिरोपण हो सके।
हमारे वातावरण में हम चारों ओर अलग-अलग सूक्ष्मजंतुओं से घिरे रहते हैं। यह तो हमारी चमड़ी यानी एक प्रकार का ईश्वर का दिया रक्षात्मक कवच है तथा यह हमारे शरीर की प्रतिकार शक्ति है, जो हमें कई रोगों से बचाए रखती है। जब कभी हमारे शरीर पर कोई घाव हो जाए या हमारे शरीर की प्रतिकार शक्ति कम हो जाए, यह वातावरण के सूक्ष्मजंतु हम पर हावी हो जाते हैं और हम रोगग्रस्त हो जाते हैं। तब एंटिबायोटिक्स या अन्य दवाएँ हमें लेकर इलाज करना पड़ता है। व्यक्ति के मृत्युपश्चात् दूसरे सेकंड से उसके शरीर का अपघटन तथा सड़न शुरू हो जाता है या ऐसा भी कह सकते हैं कि शरीर का विघटन होना शुरू हो जाता है, यही अन्य शब्दों में कहे तो शरीर के सेल्स का संक्रमण होना शुरू हो जाता है मनुष्य के मृत्यु के तुरंत बाद शरीर के भीतर स्थित अथवा वातावरण के सभी सूक्ष्मजंतुओं का असर मृत शरीर पर दिखने लगता है और शरीर का सड़ना शुरू हो जाता है। जिसका असर हम जो लोग मृत शरीर के पास जाते हैं उन पर भी हो सकता है।श्मशान में तो कितने शव आते हैं, किसकी मृत्यु कब हुई, कैसे रोगों से हुई, पता नहीं होता। इसलिए मृत व्यक्ति के घर से अथवा श्मशान से आने के बाद स्नान करना आवश्यक है।

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