Sunday, December 22, 2024

शहर में सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनी ग्वालियर विधानसभा में, दर्जनों शिकायत, कार्रवाई एक पर भी नहीं

-तत्कालीन एसडीएम, वर्तमान पटवारी, आरआई पर लग चुके नेताओं से मिलीभगत कर सरकारी जमीन हड़पने का आरोप -जलालपुर रोड पर भी मंदिर के नाम भूमि कब्जाने का प्रयास जारी -बीपी सिटी में 6 बीघा जमीन पर कब्जा -कॉस्मो वैली में 10 बीघा भूमि घेरी

ग्वालियर। बीते पांच वर्ष में प्रशासन ने एंटी माफिया अभियान के अंतर्गत जिले की 942 करोड़ 76 लाख रुपए बाजार मूल्य की 363 बीघा जमीन मुक्त कराई है। उद्देश्य यह था कि शासकीय भूमि अतिक्रमण मुक्त करने के बाद किसी भी स्तर पर अवैध कॉलोनियों का विकास न हो। इसके बावजूद शहर में लगातार अवैध कॉलोनियां विकसित हो रही हैं। बीते वर्षों में सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनियां ग्वालियर विधानसभा में विकसित हुई हैं। इसके बाद मुरार क्षेत्र में अवैध कॉलोनियों का विकास हुआ है। लगातार बढ़ रहीं अवैध कॉलोनियों के लिए जिम्मेदार पटवारी, आरआई, तहसीलदार और एसडीएम सहित नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत को लेकर जनसुनवाई सहित अन्य प्लेटफार्म पर 170 से अधिक शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर 50 कार्रवाई हो सकी हैं, बाकी के मामलों में अधिकारी चुप्पी साधे हैं।
बीते तीन महीने से एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं
-अगस्त से लेकर नवंबर के आखिर तक एंटी माफिया अभियान के अंतर्गत प्रशासन और नगर निगम ने एक भी उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं की। अंतर विभागीय समन्वय बैठक में संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर अक्षयकुमार ङ्क्षसह ने निर्देश तो दिए लेकिन फॉलोअप नहीं लिया। परिणाम यह है कि मिलीभगत को लेकर पूर्व में चिन्हित आठ एसडीएम और तहसीलदार सहित क्षेत्रीय पटवारी और नगर निगम के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
अवैध को लेकर इतनी आ चुकी शिकायतें
-भू माफिया पर कार्रवाई के लिए प्रशासन को 170 आवेदन मिल चुके हैं।
-छोटे-छोटे प्रकरणों के 50 आवेदनों पर कार्रवाई की गई है।
-ललितपुर कॉलोनी लश्कर में सर्वे-82-83 के अंतर्गत नजूल भूमि विक्रय करने का मामला फाइलों में दफन है।
-बेहटा गांव में सर्वे-330/2 की शासकीय भूमि को मुक्त कराया गया था, यहां फिर से कब्जा हो रहा है।
-बहोड़ापुर में सर्वे-1,53,55,62,46 की शासकीय भूमि का विक्रय करने का मामला दब गया है।
यह है स्थिति
-प्रशासन ने वर्ष 2016 से पहले की 429 और वर्ष 2016 के बाद की 443 कॉलोनियों को चिन्हित किया था।
-करीब 300 अन्य अवैध कॉलोनियों की सूची भी तैयार की गई थी।
-872 अवैध कॉलोनियों में से कलेक्टर के पास तक सिर्फ 500 की फाइल पहुंची। 300 कॉलोनियों के दस्तावेज अभी तक छुपाकर रखे गए हैं।
-रसूखदारों की लगभग 100 से अधिक अवैध कॉलोनियां ऐसी हैं, जिनके  दस्तावेज नायब तहसीलदार, तहसीलदार स्तर पर ही दबे हैं।
-एंटी माफिया अभियान में 177 कॉलोनियों को बसाने वाले कॉलोनाइजर्स पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देशों में सिर्फ औपचारिकता बरती गई।
मुख्यमंत्री का आदेश ही बन रहा अवैध का आधार
-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उपचुनाव-2021 के बाद अवैध कॉलोनियों को वैध करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2016 तक बसी अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए शामिल किया गया।
-वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022 तक की अवैध कॉलोनियों को वैध करने का निर्देश दिया, इसको आधार बनाकर भूमाफिया ने सबसे ज्यादा गड़बड़ी की है।
इनकी हो सकती है मिलीभगत
-अवैध बसाहट चिन्हित करने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय आरआई, पटवारी, नगर निगम के भवन शाखा के अधिकारी, कर संग्राहक, क्षेत्राधिकारी की है। इनको हर तीन महीने में रिव्यू रिपोर्ट देनी होती है, अभी तक किसी भी अधिकारी ने इस निर्देश का पालन नहीं किया।
-क्षेत्रीय एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार को अपने क्षेत्र में नजर रखकर वर्ष 2016 के बाद बसने वाली अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई करनी थी, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। अब मुख्यमंत्री का दूसरा निर्देश अवैध पर कार्रवाई न करने का बहाना बन गया है।
अवैध को नगर निगम ने ही दीं सबसे ज्यादा सुविधा
-जिन अवैध कॉलोनियों पर दंड लगाया जाना था, नगर निगम के अधिकारियों ने वहीं सबसे ज्यादा उदारता अपनाई। नेता, रसूखदार कॉलोनाइजर आदि के दबाव में अवैध कॉलोनियों मेें सरकारी धन से सीमेंट-कांक्रीट सड़क बनीं और पेयजल आपूर्ति के लिए टैंकरों से पानी पहुंचाया जाता रहा। नलों की लाइन भी डलवा दी गई। बिजली कंपनी द्वारा शहर के करदाताओं की बिजली का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अवैध कॉलोनियों को दिया जा रहा है।

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