sanjay bhardwaj
ग्वालियर। एक अच्छे मध्यस्थ को सचेत रहकर और सुनने की क्षमता में अभिवृद्धि करते हुए पक्षकारों के मध्य अपनी स्वीकार्यता स्थापित करनी चाहिए। साथ ही अपने आपको निर्णायक न मानते हुए पक्षकारों के विवादों को समझकर और उनका विश्लेषण कर अपनी प्रज्ञा का उपयोग करते हुए एक सुलभ समाधान सुझाना चाहिए, तभी मध्यस्थता प्रक्रिया की उपयोगिता फलीभूत होगी। इस आशय के विचार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ग्वालियर पी सी गुप्ता ने व्यक्त किए। प्रधान न्यायाधीश गुप्ता मीडिएशन एंड कंसिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली द्वारा मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में अधिवक्ताओं के लिये सोमवार से शुरू हुए पाँच दिवसीय मीडिएशन ट्रेनिंग कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र को संबोधित कर रहे थे।
यहाँ रेडिऐंस होटल में 26 फरवरी से 01 मार्च तक 40 घंटे का यह मीडियेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम में एमसीपीसी के मध्यस्थ अधिवक्ताओं को मध्यस्थता की प्रक्रिया से परिचित कराते हुए परिष्कृत करने का कार्य किया जायेगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री नितिन कुमार मुजाल्दा, एम सी पी सी सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली के प्रशिक्षक श्री शाहिद मोहम्मद, श्री राजेश दास, श्रीमती नीना खरे, श्री अशोक कुमार राय व जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री दीपक शर्मा सहित ग्वालियर, शिवपुरी, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, गुना, टीकमगढ़, अशोकनगर, दतिया की तहसीलों से आये अधिवक्तागण व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी उपस्थित रहे।
रेडिऐंस होटल में 25-25 अधिवक्ताओं के दो बैचों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, प्रथम बैच को एमसीपीसी के प्रशिक्षक शाहिद मोहम्मद, राजेश दास तथा द्वितीय बैच को एमसीपीसी सुप्रीम कोर्ट नई के प्रशिक्षक श्रीमती नीना खरे, अशोक कुमार राय द्वारा मध्यस्थता तकनीकी की बारिकियों और मध्यस्थ द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया, मध्यस्थता के लिए उपयुक्त प्रकरण आदि विषय पर विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा। ज्ञात हो इससे पूर्व गत 5 से 9 फरवरी तक ग्वालियर के 45 अधिवक्ताओं को यह प्रशिक्षण दिया जा चुका है।