ग्वालियर.सन 1990 में राम मंदिर आंदोलन के लिए आत्मदाह करने वाले शहीद दिनेश कुशवाहा की मां की तमन्ना भी अधूरी रह गई। 105 साल की छम्मों बाई कुशवाहा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की खबर से खुश थी, लेकिन रामलला के दर्शन करने से पहले ही उनका निधन हो गया।
ग्वालियर के गांधी नगर इलाके में रहने वाली 105 साल की छम्मो बाई का शनिवार तड़के निधन हो गया। आपको बतादें कि अक्टूबर 1990 में राम मंदिर का अभियान सफल नहीं होने पर दिनेश कुशवाहा ने आत्मदाह कर लिया था। बेटे की मौत के सदमें में दो साल बाद उसके पिता की भी मौत हो गई। तब से ही छम्मों बाई अपने बेटे की तस्वीर सीने से लगाए रखती थी। ग्वालियर के गांधी नगर में रहने वाला दिनेश कुशवाह साल 1990 में 18 साल का था। वह बजरंग दल का सदस्य होने के साथ ही पक्का कारसेवक था। वह हर हालत में अयोध्या में राम मंदिर बनते देखना चाहता था।
सन 1990 में विवादित ढांचे को गिराने पहुंचे कारसेवक की टुकड़ी जब अयोध्या जा रही थी तो दिनेश कुशवाह भी जाना चाहता था, लेकिन परिजन ने उसे कसम देकर किसी तरह रोक लिया। जबकि उसके सारे दोस्त अयोध्या गए थे। जब अयोध्या पहुंची टोली राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में सफल नहीं को सकी तो यह खबर रामभक्त दिनेश के पास पहंुची। इससे वह व्यथित हो गया। उसने संघ कार्यालय के सामने खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह कर लिया था। दिनेश की मौत के गम में दो साल बाद पिता की भी मौत हो गई थी। जिससे मां छम्मो बाई सदमें में आ गई। तभी से वह बीमार रहने लगी थीं।
बेटे की मौत के 33 साल बाद भी उनको इंतजार था कि एक दिन अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। 22 जनवरी को अयोध्या में राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने का समाचार मिलने से 105 साल की बुजुर्ग छम्मो बाई काफी खुश थी। छम्मों बाई इशारों में हाथ जोड़कर अपनी खुशी का इजहार करती थी, लेकिन प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही छम्मों बाई चल बसी। सभी रिश्तेदार और परिवार को भी अफसोस है कि अम्मा अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला के दर्शन नही कर पाई।